दृष्टिहीन बेटी ने मेहनत से नामी कॉलेज में पाया दाखिला। डालनवाला की भगत सिंह कालोनी निवासी फरीन कई कोशिशों के बावजूद देहरादून के राष्ट्रीय दृष्टिबाधितार्थ संस्थान (एनआईवीएच) में दाखिला पाने में विफल रही दृष्टिहीन फरीन के सपने अब देश के नामी कॉलेज मिरांडा हाउस में पूरे होंगे। बेहद मुश्किल हालातों में पली-बढ़ी फरीन की यह कामयाबी कई मायनों में बेमिसाल है। फरीन अब अपने पैरों पर खड़ी होकर परिवार का सहारा बनना चाहती है। दृष्टिहीन होने के बावजूद उसके पिता इजाजुद्दीन मजदूरी कर परिवार चलाते हैं।

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फरीन आय प्रमाणपत्र के संबंध में जानकारी लेने के लिए पिता के साथ डीएम कार्यालय पहुंचीं। जिस तरह वह पिता को हाथ पकड़कर ले जा रही थी, कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता कि वह दृष्टिहीन है। फरीन ने बताया कि उसने रिकॉर्डिंग के जरिए सीएनआई गर्ल्स इंटर कॉलेज से 12वीं पास की है। वह राजपुर रोड स्थित एनआईवीएच में पढ़ना चाहती थी, लेकिन यह सपना अधूरा रह गया। लेकिन, मुश्किल हालातों के बावजूद फरीन ने कभी हार नही मानी। और आगे बढ़ने का संकल्प लिया।

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फरीन का परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है। फरीन ने बताया कि 12वीं के बाद उसे मिरांडा हाउस में बीए ऑनर्स में दाखिला मिल गया है। उसने बताया कि दो छोटी बहनें हैं, जिन्हें बेहद कम दिखाई देता है। फरीन का सपना पढ़ाई पूरी कर शिक्षिका बनने का है। फरीन अपनी बहनों और पिता की आंख का ऑपरेशन कराना चाहती है ताकि वे फिर दुनिया देख सकें। फरीन ने बताया कि आठ वर्ष की उम्र तक उसको दिखाई देता था, लेकिन फिर अचानक चेहरे और आंखों में दाने निकल आए। आंखों में दाने इस तरह फैले कि उनसे इंफेक्शन हो गया और आंखों की रोशनी चली गई। तब वह नर्स बनने के सपने देखती थी। आंखें चली जाने के बाद उसने तय किया कि अब वह शिक्षिका बनेगी। मिरांडा हाउस दिल्ली विश्वविधालय का वूमेंस रेजीडेंशियल कॉलेज है। यह वर्ष 1948 में स्थापित किया गया। यहां साइंस और लिबरल आर्ट्स में डिग्री दी जाती है। ये लोग यहां से बीए ऑनर्स, बीएससी ऑनर्स, बीएसी, बीएलएड आदि कोर्स कर सकते हैं।

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