उसका कहना है कि उसके पिता जो कबाड़ एकत्रित करके लाते हैं उसमें से वह अपने काम की चीजें निकाल लेता है। इसमें कई तरह के कंप्यूटर हार्डवेयर पार्ट्स भी होते हैं। इनकी ही मदद से उसने एक कंप्यूटर बना डाला है। जयंत का कहना है कि उनके कंप्यूटर का इस्तेमाल उनके घर के सदस्यों के अलावा वह बच्चे भी करते हैं जो कंप्यूटर नहीं खरीद सकते हैं। रविंद्र को आज अपने बेटे पर गर्व महसूस होता है।
वह बताते हैं कि महज क्लास में पढ़ाई के दौरान ही जयंत ने एक लैपटॉप को सही कर दिया था। इसके बाद उसकी रूचि इसमें बढ़ती चली गई।