हालांकि शोध के मुताबिक, फेक ऑर्गेज्म एक बचपना मात्र है, जिसमें आप अपने पार्टनर के सामने ये साबित करने की कोशिश करते हैं कि आपने अच्छा काम किया है। गौरतलब है, ये स्टडी सेक्सुअल बिहेवियर में प्रकाशित हुई थी।

हार्वर्ड यूरोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. अब्राहम ने कुछ समय पहले इस विषय पर एक किताब प्रकाशित की थी। इस किताब को डॉ अब्राहम ने सालों तक पुरुषों की सेक्सुअल समस्याओं को सुलझाने के बाद लिखा। डॉ अब्राहम ने दावा किया कि कई पुरुष सेक्सुअली अच्छा परफॉर्म करने की कोशिश करते हैं, भले ही वे इसके लिए मूड में हों या न हों। वहीं अगर बात महिलाओं की करें तो महिलाओं के लिए कुछ मामलों में फेक ऑर्गेज्म सही है। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकांश मामलों में वे सेक्स करने से पहले ही बहुत थकी रहती हैं।

दरअसल, पुरुषों की छवि ऐसी बनी हुई है कि वे सेक्स के ‌लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ऐसे में पुरुषों पर ये मानसिक दबाव बना होता है कि उन्हें अच्छा परफॉर्म करना है।

उपरोक्त शोध अमेरिका की कॉलेज जाने वाली 481 सेक्सुअली एक्टिव महिलाओं पर हुआ। जिसमें से अधिकतर का जवाब था कि वे अपने पार्टनर को दुखी नहीं करना चाहती हैं। हालांकि सेक्स थेरेपिस्ट मानते हैं कि फेक ऑर्गेज्म करने का कोई नुकसान नहीं है, लेकिन ये हमेशा नहीं किया जाना चाहिए नहीं तो आपकी सेक्स लाइफ इससे प्रभावित भी हो सकती है।

 

 

 

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