इसी क्रम में जब एक सरकारी अस्पताल की नर्स इन महिलाओं को गर्भनिरोधक गोलियों और कंडोम का इस्तेमाल करने का तरीका बता रही थी, तब नौ साल के मासूम को गोद में लिए 16 साल की हलीमा ने कहा, मैं और बच्चे पैदा करना चाहती हूं, लेकिन अभी नहीं। मैं चाहती हूं मेरी बेटी कुछ बड़ी हो जाए और पूरी तरह स्वस्थ्य रहे।

इस क्षेत्र की महिलाओं को जागरूक बनाने वालों में डेका इब्राहिम भी शामिल हैं। वे जगह-जगह जाकर महिलाओं को इनके बारे में बताती हैं। 40 से अधिक युवतियों और हालिया शादीशुदा महिलाओं की मौजूदगी में डेका ने समझाया, इस्लाम में गर्भनिरोधक हराम नहीं हैं। यदि मां या कोख में पल रहे बच्चे की जान की बात आए तो इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। बकौल डेका, इस्लाम में गर्भनिरोधक साधनों के इस्तेमाल की कुछ शर्ते हैं। मसलन – ये अस्थीय तौर पर लिए जाने चाहिए, महिला के लिए ऐसा करने से पहले शोहर की अनुमति जरूरी है। वे महिलाओं को याद दिलाती हैं कि इस्लाम में गर्भपात पूरी तरह प्रतिबंधित है। यही व्यवस्था पूरे केन्या में लागू है।

 

 

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