फ्रेंड्शिप एक बड़ा ही अनमोल रिश्ता होता है। हमारे स्कूल-कॉलेज के बाद दोस्ती का सिलसिला लगभग थम जाता है। बचपन में हमें लगता है कि दोस्त तो बस पढ़ते हुए ही बनाए जा सकते हैं। लेकिन पिछले दिनों हुए कई शोधों से यह निष्कर्ष आया है कि वर्कप्लेस पर दोस्ती न सिर्फ आपकी क्षमता बढ़ाती है बल्कि आपको ज्यादा प्रसन्न और संतुष्ट रखती है। इसका कारण बड़ा मनोवैज्ञानिक है। भौतिक पक्ष भी है, कामकाज के दौरान बने दोस्त आपको बेहतर अवसर दिलवाने में भी भूमिका निभा सकते हैं। तो यदि आप नए-नए ज्वॉइन हुए हैं तो दोस्ती करने से बिल्कुल न घबराएं, थोड़ी पहल अपनी तरफ से करें। देखें ऑफिस आपको लुभाने लगेगा और काम में ज्यादा मन लगेगा।

सभी दफ्तरों में कोई ऐसी जगह जरूर होती है, जहां दो-तीन या ज्यादा लोग एकसाथ हो सकते हैं। या तो वह कैंटीन हो सकती है, कॉफी मशीन या फिर वाटर कूलर, कई बार तो वाशरूम भी हो सकता है। क्योंकि आपस में बात करके ही आप किसी से रिश्ता बना सकते हैं। एक मुस्कुराहट से शुरू हुए रिश्ते कहां तक पहुंच सकते हैं, आपको इसका अंदाजा भी हो जाएगा। कोशिश करें कि एक ही वक्त में आप अपने लिए नियत जगह पर पहुंचे। थोड़ा गपशप करें, दोस्ती की शुरुआत करें।

अगर आप खुश रहेंगे तो लोग ज्यादा आपके आसपास होंगे। अपने आसपास का माहौल हमेशा खुशमिजाज रखें। जोक्स शेयर करें, जोक क्रैक करें। मजाकिया बात करें। अपने दोस्त के इंटेलिजेंस की, ड्रेसिंग सेंस की, काम करने के स्टाइल की या फिर उसके किसी भी काम की कभी तारीफ भी कर दें। इससे उसे खुशी मिलेगी। हां लेकिन याद रहें कि तारीफ सच्ची हो।

अपने साथी की जिससे आपकी वेवलेंथ मिलती हो थोड़ी केयर करें। यदि किसी दिन वह पब्लिक ट्रांसपोर्ट से आया है तो आप उसे घर तक नहीं ड्रॉप कर सकते हैं तो कम से कम करीब के बस स्टैंड या मेट्रो स्टेशन तक तो ड्रॉप करें ही। उसके काम का, उसकी सेहत का, उसके स्वाद का भी ध्यान रखें। वैसे तो ऐसा पुरुाा के लिए कहा जाता है, लेकिन हर रिश्ते में दिल का रास्ता पेट से ही जाता है। तो ध्यान रखें कि आपके साथी को क्या पसंद है, उसकी आदत किस तरह की है। यदि उसे मीठा पसंद है तो जब कभी मिठाई लाएं, उससे जरूर शेयर करें। यदि वह डायबिटिक है तो कुछ हेल्दी स्नैक्स उसे ऑफर करें। इसी से रिश्तों में मिठास उतरेगी।

अपने दोस्त के साथ ठीक वैसे ही रहें, जैसे कॉलेज के दोस्तों के साथ रहते थे। फिल्म देखना, डिनर पर जाना या फिर साथ ट्रेवल करना। यकीन माने दोस्ती गहरी होगी। तो इस भ्रम को दिल से निकाले कि दोस्ती तो बस स्कूल-कॉलेज में ही की जा सकती है। दोस्ती कभी भी और कहीं भी की जा सकती है।

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