वह दिखाते हैं कि किस तरह यहां मार-काट, छेड़छाड़ और नशे की गिरफ्त में लोग तल्लीन हैं। कोई किसी का खून कर रहा है, तो कोई किसी पर एसिड फेंक रहा और कोई नशे की दवा ले रहा। यहां तक कि एक मां के लिए अब उसकी प्रायॉरिटी बच्चा नहीं रहा, बल्कि अपने बच्चे के सामने ही वह पार्टी ड्रिंक्स और सिगरेट ले रही और बच्चा दवाई खा रहा। …और वह बता रहे हैं कि यह तूफान अब इतना बड़ा हो गया है कि रंगीला पंजाब अब काला पड़ चुका है। अब बच्चे खेलने और एक्सरसाइज़ के लिए मैदान में नहीं जाते, इसलिए अब गिने-चुने ही खिलाड़ी रह गए हैं। घर में बाप की मौत हुई है और बेटा नशे में डूबा है, जिसके बाद अर्थी बेटी उठाती है। …और ये सारी चीजें देखकर नन्हा भगत रो पड़ता है और आखिरकार अपने नाम के आगे लिखा शहीद मिटा देता है। फिर गुरदास उन्हें इशारे में याद दिलाते हैं, कि उन्होंने कहा था कि आज के हालात देखकर वह अपनी कहानी नहीं बदलेंगे।
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