बीए पास
समाज जैसा दिखता है वैसा होता नहीं है। बंद दरवाजे के पीछे शराफत के नकाब उतर जाते हैं और तमाम नैतिकता और मूल्य धराशायी हो जाते हैं। निर्देशक अजय बहल ने फिल्म ‘बी.ए. पास’ के जरिये इसी समाज की पड़ताल की है। सेक्स और अपराध के तड़के के साथ उन्होंने अपनी बात एक थ्रिलर मूवी की तरह पेश की है।