गौरतलब है कि हाईकोर्ट के जज आरपी ढोलकिया ने अपने फैसले में कहा कि ऑटो ड्राइवर और चश्मदीद के बयानों में एकरूपता नहीं थी और वे आरोपियों की पहचान को लेकर कंफ्यूज्ड थे। जज ने कहा कि अभियोजन पक्ष भी आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा। कोर्ट ने कहा कि राठौर का यह कदम निष्पक्ष जांच के नियमों के विरुद्ध है। ऐसे में अभियोजन पक्ष की विश्वसनीयता संदिग्ध है और इसलिए आरोपियों के खिलाफ लगे आरोपों को खारिज किया जाता है।