त्रेतायुग में दानवों ने किया था दूरभाष का आविष्कार!

त्रेतायुग में दानवों ने किया था दूरभाष का आविष्कार!

त्रेतायुग में दानवों ने किया था दूरभाष का आविष्कार! रामायण हिंदूओं का एक पावन ग्रंथ है और इस ग्रंथ को सिर्फ भारतवासी ही नही मानते बल्कि इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम देश भी इस ग्रंथ को मानते है। जी हां इंडोनेशिया में इसलाम धर्म को मानने वाले लोग हिन्दू धर्म ग्रन्थ रामायण की पूजा करते हैं और त्योहारों पर रामायण का पाठ भी करते हैं। शायद आपको पता ना हो लेकिन इंडोनेशियाई रामायण भी है। इस इंडोनेशियाई रामायण की रचना कवि योगेश्वर ने की थी। रामायण को इंडोनेशियाई भाषा में ‘काकविन रामायण’ कहा जाता है। यहां स्थानीय लोगों के द्वारा रामायण का मंचन भी किया जाता है।

इंडोनेशिया रामायण को देखा जाए तो आपको पता चलेगा कि त्रेतायुग में दानवों ने विज्ञान के कई आविष्‍कार पहले ही कर लिए थे। वे दूरभाष के ज्ञाता थे, इसीलिए इन्हें जब पकड़ा जाता था तो इनकी पहली सजा के तौर पर इनके कान काटे दिए जाते थे ताकि ये केंद्र से संपर्क में न रह सकें। शूर्पणखा पर पहला यह प्रयोग हुआ था। इस यंत्र का शोधकर्ता रावण का भाई कुंभकर्ण था।

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