बंदरों के लिए खास तरह के फल, चावल और काजू का इंतजाम किया गया। इसके साथ ही मीठे में थोंग-योड का भी बंदोबस्त था।बंदरों के लिए इस फेस्टिवल का आयोजन 1980 के दशक से होता चला आ रहा है। यह फेस्टिवल 800 साल पुराने हिंदू मंदिर में मनाया जाता है। जो कि सबसे अद्भुत जगहों में से एक मानी जाती है।