निकोलस ग्रीन की उम्र महज 7 साल थी, जब एक हत्यारे ने उसे गोली मार दी। 1994 में निकोलस का परिवार छुट्टियां बिताने के लिए इटली गया था और यहीं पर उन्होंने निकोलस को हमेशा के लिए खो दिया। लेकिन निकोलस की मौत के 22 साल बाद तक उसका दिल धड़कता रहा।

हुआ यूं कि बेटे की मौत के बाद निकोलस के माता-पिता मागी और रेग ग्रीन ने उसका दिल डोनेट करने का फैसला किया। इटली में ही रहने वाले एक किशोर ऐंडेरा मोंगियार्डो को हार्ट ट्रांसप्लांट की सख्त जरूरत थी। निकोलस की मौत के बाद उसका दिल ऐंडेरा के शरीर में ट्रांसप्लांट कर दिया गया। उनके इस फैसले ने ना केवल ऐंडेरा को जिंदगी दी, बल्कि निकोलस के दिल को भी जिंदा रखा। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक,अब 22 साल बाद इस दिल ने धड़कना बंद कर दिया है। इसी साल फरवरी में 37 साल के ऐंडेरा की मौत हो गई।

मागी और रेग ग्रीन ने केवल अपने बेटे का दिल ही डोनेट नहीं किया, बल्कि निकोलस के शरीर के अंगों ने इटली के 5 लोगों की जिंदगी रोशन की। उसकी आंखों की पुतलियों ने दो नेत्रहीनों को रोशनी दी। इस घटना का इटली की जनता पर काफी असर पड़ा। निकोलस की मौत के बाद 10 सालों के अंदर ही इटली में अंगदान लगभग तिगुना बढ़ गया। निकोलस के परिवार द्वारा दिखाई गई इंसानियत और निकोलस की अमानवीय हत्या से उपजी जनसंवेदना का इसमें काफी बड़ा हाथ था। इटली में तो इसे ‘निकोलस प्रभाव’ का भी नाम दिया गया।

निकोलस की मौत कार में गोली लगने के कारण हुई थी। उसके पिता कार चला रहे थे और निकोलस अपने 4 साल के भाई के साथ कार की पिछली सीट पर सो रहा था। एक कार बहुत देर से निकोलस के पिता की कार का पीछा कर रही थी। रेग ग्रीन को संदेह हुआ और उन्होंने कार की रफ्तार बढ़ा दी। इसके बाद दूसरी कार में बैठे हमलावरों ने गोली चलाई। कार की पिछली सीट पर बैठे निकोलस को गोली लगी है, यह मेग और रेग ग्रीन को पता ही नहीं चला। कुछ देर जब उन्होंने देखा, तब तक निकोलस निढाल पड़ा था। उसके सिर के पीछे गोली लगी थी। दो दिनों तक अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ, लेकिन डॉक्टर उसे नहीं बचा सके। उसे चिकित्सीय रूप से मरा हुआ घोषित कर दिया गया। इसके बाद मेग और रेग ग्रीन ने फैसला किया कि वे अपने बेटे के अंगों को डोनेट करेंगे।

जिस ऐंडेरा के शरीर में निकोलस के दिल को ट्रांसप्लांट किया गया, उनकी उम्र उस वक्त 15 साल थी। उनके दिल का 5 बार असफल ऑपरेशन हो चुका था। इस ट्रांसप्लांट के कारण ऐंडेरा 22 साल और जी सके। इसी साल फरवरी में लिफेंमा बीमारी से उनकी मौत हुई। ऐंडेरा की मौत के साथ ही निकोलस का दिल भी हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गया।

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