मरने के बाद इंसान का शरीर कुछ समय के लिए ज़िंदा होता है ऐसा सुनने में आता है। लेकिन लाशों के चीखने चिल्लाने की बात थोड़ी सी अजीब लगती है। लेकिन यह सच है क्योंकि पोस्टमार्टम के दौरान कई अक्सर लाशें ये अनोखा कारनामा करती है। जिससे कई बार वहां पर तैनात डॉक्टर और कर्मचारी भी डर जाते हैं। लेकिन आखिर इनके पीछे ऐसी कौन सी वजह होती है कि मरने के बाद भी ये लाशें जीवित इंसान की तरह ही चिल्लातीं हैं।
मरने के बाद इंसानी जिस्म की बनावट से लेकर रंग रूप भी बादल जाता है। शरीर के रंग का नीला पड़ जाना या फिर आँखों का बाहर निकाल आना एक आम बात है। इसी वजह से मरने के बाद इंसान का शरीर पहचान में नहीं आता है। इतना ही नहीं जब लाशें कई दिन तक रखी रहती है तो वह चीखने चिल्लाने भी लगती है। पोस्टमार्टम के दौरान यह एक सामान्य प्रक्रिया मानी जाती हैं। हालांकि कई बार इनसे आने वाली आवाजों को सुनकर डॉक्टर व यहां तैनात कर्मचारी भी हैरान हो जाते हैं। हालांकि डॉक्टरों को पता है कि यह कोई भूत प्रेत नहीं बल्कि शरीर में मौजूद बैक्टीरियों से जो गैस बनती है। उसकी वजह से शरीर के वोकल मसल्स में खिंचाव होता है और लाशें चीखने लगती हैं।