धूम्रपान एक ऐसा व्यसन है जिससे कैंसर सहित कई बीमारियों की जड़ माना जाता है। अगर ई-सिगरेट की गुणवत्ता और विविधता बढ़ती रहे, साथ ही इसकी लागत में कमी आती रहे। ऐसा अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है। आपको बता दें कि अमेरिका की गैरलाभकारी संस्था रीजन फाउंडेशन के एक पर्चे के अनुसार अगर उत्पाद की गुणवत्ता और विविधता बरकरार रहती है तथा इसके दाम इसी तरीके से कम होते जाते हैं तो अगले 20 सालों में धूम्रपान में 50 फीसदी से ज्यादा की कमी आ सकती है और अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले अगले 30 सालों में यह पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
इसे भी पढ़िए- दस सालों में केला हो जाएगा विलुप्त, रिसर्च में खुलासा
बेंगलुरू के प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ गर्वनर के सदस्य अमीर उल्ला खान ने बताया कि 10 सालों से भी कम अवधि में ई-सिगरेट जैसे उत्पाद की गुणवत्ता, प्रभावकारिता और सुरक्षा में चमत्कारिक वृद्धि देखने को मिली है। अब तक लाखों धूम्रपान करने वाले इसे अपना चुके हैं। भारत में शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया है कि कुछेक सालों में लगभग 10 फीसदी धूम्रपान करने वाले ई-सिगरेट जैसे उत्पादों का प्रयोग करने लगेंगे। इस शोध के लेखकों का कहना है कि भारत में कई राज्यों में ई-सिगरेट की बिक्री पर रोक लगी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि दुनिया भर के संगठन और सरकारों का जोर ई-सिगरेट के माध्यम से निकोटीन के खतरे से बचाने के बजाए धूम्रपान की लत छुड़वाने पर है।