कहा जाता है कि एक महिला पुरे घर परिवार को चलाती है और अच्छी पत्नी वही होती है जो कम खर्च में अपना घर चला पाती है। एक पत्नी पति के रिश्ते पर आधारित महाभारत में भीष्म पितामाह ने कहा है कि पत्नी को सदैव प्रसन्न रखना चाहिए क्योंकि उसी से वंश की वृद्धि होती है। इसके अलावा भी अनेक ग्रंथों में पत्नी के गुण व अवगुणों के बारे में बताया है।
गरुड़ पुराण में भी पत्नी के कुछ गुणों के बारे में बताया गया है।
घर संभालने वाली
जो पत्नी घर के सभी कार्य जैसे- भोजन बनाना, साफ-सफाई करना, कपड़े-बर्तन आदि साफ करना, बच्चों की जिम्मेदारी ठीक से निभाना, घर आए अतिथियों का मान-सम्मान करना, कम संसाधनों में अच्छा घर चलाना आदि कार्यों गृह कार्य में दक्ष माना जाता है।
मीठा बोलने वाली
पत्नी को अपने पति से सदैव धीरे-धीरे व प्रेमपूर्वक भाषा में ही बात करना चाहिए। पत्नी द्वारा इस प्रकार से बात करने पर पति भी उसकी बात को ध्यान से सुनता है व उसकी इच्छाएं पूरी करने की कोशिश करता है।
पति की हर बात मानने वाली
जो पत्नी अपने पति को ही सर्वस्व मानती है तथा सदैव उसी के आदेश का पालन करती है, उसे ही धर्म ग्रंथों में पतिव्रता कहा गया है। पत्नी भूल कर भी कभी पति का दिल दुखाने वाली बात नहीं कहती। पति के अलावा वह कभी भी किसी अन्य पुरुष के बारे में नहीं सोचती। धर्म ग्रंथों में ऐसी पत्नी को पतिपरायणा कहा गया है।
धर्म का पालन करने वाली
एक पत्नी का सबसे पहले यही धर्म होता है कि वह अपने पति व परिवार के हित में सोचे व ऐसा कोई काम न करे जिससे पति या परिवार का अहित हो। जो निरंतर अपने धर्म का पालन करती है।