ओव्यूलेशन के वक्त महिलाओं से बचकर, हो जाती हैं तानाशाह, रिसर्च , ओव्यूलेशन के समय महिला के व्यवहार में बदलाव आता है। एक शोध में यह बात सामने आयी है कि महिला के शरीर में होने वाले इस तरह के बॉयोलॉजिकल प्रक्रिया में महिला का रुख कुछ ज्यादा ही आक्रामक हो जाता है जो उन्हें प्रतिस्पर्धी बना देता है। ओव्यूलेशन के समय होने वाले हार्मोनल बदलाव का असर महिला के मस्तिष्क पर भी पड़ता है, इसके कारण उसके बात करने के तरीके के साथ-साथ उसके पहनावे में भी बदलाव आता है। इस लेख में विस्तार से जानिए इस नये शोध के बारे में।
हाल में हुए एक नये शोध में यह बात सामने आयी है कि ओव्यूूलेशन पीरियड के दौरान महिला के व्य वहार में बदलाव आता है और सामान्यै लोगों की तुलना में अधिक प्रतिस्पलर्धी हो जाती है। सैन आंटोनियों के यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सामस और यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा द्वारा कराये गये एक शोध में यह बात सामने आयी है।
इस शोध के लिए ओव्यूीलेशन पीरियड और सामान्य मासिक धर्म में चल रही महिलाओं के बीच किया गया। जो महिलायें ओव्यूेलेशन पीरियड में थी उनका व्यिवहार दूसरी महिला के प्रति बिलकुल तानाशाह की तरह था, वे उन महिलाओं को तुच्छथ समझ रही थीं। एक अन्यी शोध में यह पाया गया कि इस दौरान महिलायें अपने खर्चे पर भी लगाम लगाती हैं और वे बचत पर ध्या न देती हैं।
ओव्यू लेशन के वक्तख महिला की तार्किक क्षमता सामान्यद महिलाओं की तुलना में बढ़ जाती है और वह अधिक तुलनात्मशक हो जाती है। वे अधिक विलासिता की कल्पपना करने लगती हैं, वो अच्छेे गहने और शानदार घर भी चाहती हैं। अपने समकक्ष महिलाओं से वे खुद को श्रेष्ठ् समझने लगती हैं। कुछ महिलाओं में यह भी ख्याेल आता है कि ये समय यौन संबंध बनाने के लिए नहीं है, तो क्यों न इस समय यौन संबंध बनाने से बचा जाये। इस दौरान महिला के मन में अच्छेन विचार आते हैं जिसके कारण उसका दिमाग भी विलासितापूर्ण जीवन के बारे में सोचता है और उसकी पसंद में मंहगी वस्तुउयें शुमार हो जाती हैं।
ओव्यूलेशन महिला के शरीर में होने वाली एक बॉयोलॉजिकल प्रक्रिया है जिसमें एक परिपक्व ओवेरियन फूट जाता है और मासिक धर्म के दौरान निकल जाता है। मासिक धर्म के आधार पर इस समय का निर्धारण किया जाता है जो कि हर महिला में अलग-अलग होता है। सामान्यतया, मासिक धर्म का समय 14 से 28 दिन होता है। लेकिन ओव्यूलेशन 10 से 19 दिन के बीच में कभी भी हो सकता है।
इस समय ओवम यानि डिम्ब ग्रंथि, स्पर्म के साथ फ्यूज हो सकता है और निषेचन में बदल जाता है। गर्भधारण करने में यह पीरियड महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यानी इस वक्त अगर यौन संबंध बनाये जायें तो महिला आसानी से गर्भवती हो सकती है। बांझपन का उपचार भी इस पीरियड के समय की गणना के द्वारा उसी दौरान सेक्स करके किया जा सकता है। ओव्यूलेशन के दौरान आपके शरीर को अतिरिक्त ध्यान देने की जरूरत होती है जिससे कि आप आसानी से गर्भवती हो सकें।