उनकी प्रारंभिक जिंदगी बहुत ही सामान्य थी। वह प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विश्वासपात्र समझे जाते हैं जिन्होंने अपने और अपनी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के प्रति उनकी निष्ठा के चलते इस शीर्ष पद पर उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी थी। राष्ट्रपति नियुक्त होने के शीघ्र बाद हुसैन ने अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि वह कराची में मदरसे में भी गए। यह पहली बार है कि उन्होंने कहा है कि वह औपचारिक आधुनिक स्कूल प्रणाली से वंचित रहे।
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