कई बार किस्मत ऐसे खेल खेलती है की लोगो के पास सिर्फ उसे कोसने के और कोई चारा नहीं रहता जिसके बाद लोग उस कठिन परिस्थिति को आफ्नै किस्मत मानकर बैठ जाते हैं लेकिन इस बच्ची के कहने ही क्या इस बच्ची ने नन्ही से उम्र में ऐसा कारनामा कर दिखाया है की लोग बस उसकी तरीफे ही कर रहे हैं।
बर्मिंगहम में पैदा हुई अनु 7 साल की एक बच्ची है। बाकी बच्चों की तरह उसे भी खेलने-कूदने, डांस करने और दौड़ने का शौक है। उस बच्ची को कभी अपने पैरों की कमी नहीं महसूस हुई क्योंकि उसने अपने सारे शौक अपने ‘रनिंग ब्लेड्स’ (कृत्रिम पैरों) की बदौलत ही पूरे किए हैं।
छोटी सी उम्र की ये बच्ची बड़े-बड़े लोगों को प्रेरित करने का काम कर रही है।

अनु जब पैदा हुई तभी उसके पैरों में कुछ दिक्कत थी। इनफेक्शन न होने की डर से उसके पैरों को काटकर हटा दिया गया। बावजूद इसके आज वो खेल में और दौड़ में अच्छे-अच्छों को हरा सकती है। उसने बीबीसी को दिये एक इंटरव्यू में बताया ‘मेरे अपने पैर नहीं हैं लेकिन मैं जो चाहती हूं वो कर लेती हूं, मैं हर रोज पापा के साथ फुटबॉल खेलती हूं। मुझे डांस करना बेहद पसंद है, मेरा फेवरेट कलर पिंक है इसलिए मैनें अपने रनिंग ब्लेड्स (कृत्रिम पैर) का कलर भी पिंक ही लिया।

वैसे पिछले पैरालंपिक्स की सफल तस्वीरों को देखकर ब्रिटिश सरकार ने दिव्यांग बच्चों के लिए कई नए तरह के रनिंग ब्लेड्स बनाने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि उन रनिंग ब्लेड्स की कीमत 2 लाख से लेकर करीब 5 लाख तक है जिसे हर दो साल बाद बदलना पड़ता है। बावजूद इसके इस बच्ची अपने सपने पूरे करने की जुगत में लगी रहती है और दुनिया के लिए एक मिसाल बन रही है।

No more articles