तभी दूसरा चमत्‍कार हुआ। अपने पिता की तरह ही एलेस्‍या को ‘असंभव’ शब्‍द के बारे में नहीं पता था। उसने खुद ने रिकवर होने में अपनी ताकत लगा दी। कुछ ही सप्‍ताह में वह देखने भी लगी और बोलने भी। ठीक वैसे ही जैसे वह दुर्घटना के पहले थी। वाकई कई बार समर्पण कर देना सबसे आसान होता है। एलेस्‍या के पिता ने हार नहीं मानी और उसके साथ चमत्‍कार भी हुआ जिसके कारण आज वह इस दुनिया में है।

 

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