कभी राजशाही ठाठ बाट से सराबोर रहने वाला ये किला आज विरान पड़ा है। यहां भूतों का बसेरा हो गया है। और तो और यहां रूकने वाला एक भी इंसान जिंदा नही रहता और यही नही उसको कभी जन्म लेने का मौंका भी नही मिलता।

यह किला दिल्ली से 300 किलोमीटर दूर राजस्थान के अलवर में मौजूद यह किला आज वीरान है। लेकिन कभी यह खंडहर एक भव्य और आबाद इलाका हुआ करता था।

इस भूतिया किले के पास हैं दर्जनों मंदिर इलाके में दाखिल होते ही सोमेश्वर, हनुमान, कृष्ण केशव, मंगला देवी समेत दर्जनों मंदिरें हैं। इन्हें देख आप सोच में पड़ जाएंगे कि भगवान के होते हुए भी यहां भूत कैसे हो सकते हैं।

औऱ यही नहीं है किले के अंदर किसी भी इमारत की छत नहीं है। लेकिन ताज्जुब ये कि सभी मंदिर सही सलामत हैं।

कहा जाता है कि जिस जगह महल बना उसके पास गुरू बालू नाथ रहते थे। उन्होंने महल निर्माण के दौरान चेतावनी दी थी कि महल की परछाई उनके ध्यान करने वाली जगह पर नहीं पड़े वर्ना पूरा नगर तबाह हो जाएगा। लेकिन किसी ने इस बात पर गौर नहीं किया। इसी श्राप के कारण पूरा किला रातों-रात वीरान हो गया।

यही नही शींडा नाम के एक तांत्रिक ने मरने से पहले किले की बर्बादी का श्राप दिया था। मिथकों के अनुसार तांत्रिक शींडा भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती को पसंद करता था। राजकुमारी को वश में करने के लिए उनके इत्र पर जादू-टोना कर दिया। लेकिन रत्नावती को यह बात पता चल गई और उसने इत्र  को पत्थर पर फेंक दिया। इसी पत्थर से कुचलकर तांत्रिक की मौत हो गई। घटना के बाद भानगढ़ पर अजबगढ़ ने आक्रमण किया। युद्ध के दौरान किले में रह रहा हर एक शख्स मार डाला गया।

तांत्रिक ने श्राप दिया था कि यहां रहने वाला कोई भी इंसान दोबारा जन्म नहीं ले पाएगा। माना जाता है कि अकाल मृत्यु के कारण ही आज भी यहां आत्माएं भटकती हैं और रात को यहां रूकने वाला कोई भी इंसान मर जाता है।

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