माना जाता है कि युधिष्ठिर ने अज्ञातवास के समय यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। आज भी यह शिवलिंग महामंडेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां एक खूबसूरत मंदिर का निर्माण भी करवाया गया था। शिवलिंग के सामने दो द्वारपाल पश्चिम की और मुंह करके खड़े हुए दिखाई देते हैं।

माना जाता है कि मंदिर में यदि किसी शव को इन द्वार पालों के सम्मुख रखकर मंदिर का पुजारी जल छिड़के तो वह व्यक्ति कुछ समय के लिए पुन: जीवित हो जाता है। जब वह व्यक्ति जीवित हो जाता है तो उसे गंगाजल दिया जाता है। गंगाजल ग्रहण करने के पश्चात उसकी आत्मा फिर से उसकी देह त्यागकर चली जाती है। इससे संबंधित रहस्य के बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया।

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