दुनिया में जितने अधिक देश हैं उतने ही उनके कड़े कानून हैं। कानून भी दक़ियानूसी और वाहियात। ऐसी ही कुछ मान्यताएं हमारे देश में भी मानी जाती है। दरअसल छत्तीसगढ़ में बस्तर की कांगेरघाटी के इर्द-गिर्द बसे हुए धुरवा समाज में ऐसी ही एक अनोखी प्रथा निभायी जाती है। यहां भाई-बहन की आपस में शादी कर दी जाती है।

यहां बेटे-बेटियों की शादी में अग्नि को नहीं बल्कि पानी को साक्षी मान कर विवाह रचाया जाता है। धुरवा समाज में बेटी की शादी उसके ममेरे या फुफेरे भाई-बहन से कर दी जाती है। अगर कोई शादी करने से मना करता है तो उससे जुर्माना भी वसूला जाता है।

यहां लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़के की आयु 21 वर्ष होती है। हालांकि अब धीरे-धीरे लोग इस परंपरा को खत्म करने के कोशिश कर रहे हैं।

No more articles