हाल में अपने नकली अंतिम संस्कार कार्यक्रम में शामिल हुए एक प्रतिभागी ने अपने ब्लॉग में लिखा, ‘ताबूत के अंदर रोशनी की एक भी किरण नहीं आ रही थी, और दस मिनट तक उस अंधेरे, दम घुटने वाले माहौल में बिताते हुए मुझे रोना आ रहा था।’

आपको जानकर हैरानी होगी कि 2012 से अब तक करीब पंद्रह हजार लोग इस कार्यक्रम में भाग ले चुके हैं। यह कार्यक्रम निःशुल्क है। इसमें शामिल होने वाले कुछ लोगों को गंभीर बीमारियां थीं और अपने अंतिम समय के लिए मानसिक रूप से तैयार हो रहे थे, तो कुछ लोगों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति थी।

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