कोर्ट ने खतरनाक ड्राइविंग को काफी गंभीरता से लेते हुए अटॉर्नी जनरल से कहा कि आप यह सुनिश्चित कराएं कि किसी व्यक्ति की सनक, फैन्टेसी और दुसाहस का खामियाजा किसी मासूम को न भुगतना पड़े। कोर्ट ने इस बात पर भी आश्चर्य व्यक्त किया कि ऐसे मामलों में कुछ लोगों पर मोटर कानून की धारा 184 के तहत आरोप लगाए जाते हैं।
जस्टिस दीपक मिश्रा की इस टिप्पणी का अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने भी समर्थन किया और कहा कि खतरनाक ड्राइविंग करने वालों के लिए मौजूदा मोटर व्हिकल एक्ट में कम सजा का प्रावधान है जिसे संशोधित कर बढ़ाया जाना चाहिए। जस्टिस मिश्रा की बेंच रैश ड्राइविंग के एक मामले की सुनवाई कर रही थी।
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