सुप्रीम कोर्ट ने सरदारों या सिखों का मजाक उड़ाने वाले चुटकुले को रोकने संबंधी दिशानिर्देश तय करने से इंकार कर दिया है। मंगलवार को जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि इस मामले में शीर्ष अदालत को संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत दिशानिर्देश बनाने का अधिकार नहीं है। अनुच्छेद-32 मूल अधिकारों का हनन होने पर पीड़ित व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट से राहत पाने का अधिकार देता है।

हालांकि कोर्ट ने ये जरूर कहा कि अगर किसी को आपत्ति है तो वह कानून के अनुसार केस दर्ज कराने के लिए स्वतंत्र है।सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालतें नागरिकों के लिए नैतिक दिशा—निर्देश नहीं बना सकतीं। हम लोगों के व्यक्तिगत व्यवहार के संबंध में कोई दिशा—निर्देश जारी नहीं कर सकते। हालांकि कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च को भी करेगी।

शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी सरदारों से जुड़े चुटकुलों को रोकने की मांग करने वाली एक याचिका पर आई है। याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरविंदर चौधरी ने कहा कि इन चुटकुलों में सिख समुदाय की नकारात्मक छवि पेश की जाती है। उन्होंने ऐसे चुटकुलों को प्रसारित करने वाली वेबसाइटों (के संचालकों को) को छह महीने से लेकर पांच साल तक की सजा वाले कानूनी प्रावधान के दायरे में लाने की मांग की।

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