संगम नगरी इलाहाबाद के शिवकुटी इलाके में पिछले बारह सालों से चल रहे एक कान्वेंट स्कूल में आज तक कभी राष्ट्रगान नहीं गाया गया। इस प्राइवेट स्कूल के स्टाफ ने इस बार के स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रगान की इजाजत मांगी तो स्कूल मैनेजमेंट ने प्रिंसिपल समेत नौ टीचर्स को नौकरी से निकाल दिया।

आज़ादी की सत्तरवीं सालगिरह से ठीक पहले यह चौंकाने वाली खबर आई है। संगम के शहर इलाहाबाद के एक स्कूल में राष्ट्रगान गाने पर पिछले बारह सालों से पाबंदी लगी हुई है। नर्सरी से आठवीं तक चलने वाले इस स्कूल में शुरू से ही राष्ट्रगान पर पाबंदी है। इतना ही नहीं यहां के बच्चों को न तो संस्कृत पढ़ने की छूट है और न ही सरस्वती वंदना गाने और वंदे मातरम बोलने की।

ख़ास बात यह है कि तकरीबन आठ सौ बच्चों वाले इस स्कूल में ज़्यादातर सनातनधर्मी परिवारों के छात्र पढ़ते हैं। स्कूल चलाने वाले यहां के मैनेजर जियाउल हक़ का कहना है कि उन्हें राष्ट्रगान के” भारत भाग्य विधाता” शब्द से एतराज है। यह उनके मजहब के अनुकूल नहीं है, इसलिए उनके यहां इसे गाने पर पाबंदी है।

सरस्वती वंदना और वंदे मातरम को भी वह एक धर्म विशेष का बताकर इसका विरोध करते हैं। मैनेजर जियाउल हक़ का कहना है कि अगले हफ्ते पड़ने वाले स्वतंत्रता दिवस पर भी वह अपने स्कूल में राष्ट्रगान नहीं होने देंगे।

स्कूल का मैनेजमेंट अब भी इस जिद पर अड़ा है कि कुछ शब्द हटाए जाने तक वह अपने यहां राष्ट्रगान नहीं होने देगा। इस मसले के तूल पकड़ने के बाद प्रशासन ने मामले की जांच कर स्कूल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात कही है।

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