सेना पर पत्थर फेंकने वालों की अब निकल जाएगी हवा

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पिछले चार महीने में बड़ी तादाद में घायल हुए जवानों को देखने के बाद सीआरपीएफ ने सुरक्षा साधनों की समीक्षा की तो पता चला कि पत्थरबाजी की घटनाओं में ज्यादातर जवानों को चेहरे, गला और पैर पर चोटें आई हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ ही सीआरपीएफ के जवान ही हैं जो हर दिन घाटी में होने वाली हिंसा और विरोध प्रदर्शन के दौरान लोगों का सामना करते हैं।

पत्थरबाजी की घटनाओं के दौरान कई जवान तो इतनी बुरी तरह से घायल हो गए थे कि उनके सिर और चेहरे की सर्जरी तक करनी पड़ी। लिहाजा यह महसूस किया गया कि चूंकि अब ठंड भी आ गई है, ऐसे में जम्मू कश्मीर में लंबे समय के लिए तैनात जवानों को खर्च की चिंता किए बिना हर तरह की सुरक्षा मुहैया करायी जाए।

इस पूरे साजो समान में सबसे पहले छाती को सुरक्षित रखने के लिए सॉफ्ट प्लास्टिक से बना अनब्रेक्बल प्रोटेक्टर होगा जो पसीना भी सोखेगा। इसके अलावा कोहनी के लिए एल्बो गार्ड, पैरों के लिए शिन गार्ड, कंधों के लिए शोल्डर पैड, अपर आर्म प्रोटेक्टर, फोर आर्म गार्ड और थाइ गार्ड। जबकि सिर और चेहरे के लिए हेल्मेट। एक अधिकारी की मानें तो वैसे तो सीआरपीएफ के पास कुछ फुल बॉडी प्रोटेक्टर्स हैं लेकिन वे काफी नहीं हैं।

मौजूदा समय में हिंसा से प्रभावित कश्मीर घाटी में 60 बटालियन और 130 कंपनियां यानी करीब 70 हजार जवानों की तैनाती की गई है। अधिकारियों का कहना है कि करीब 15 हजार फुल बॉडी प्रोटेक्टर उनकी मांग को पूरा कर सकते हैं।

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