दरअसल घटना नोएडा की है जहां एक दिहाड़ी मज़दूर अपनी पत्नी के अंतिम संस्कार का इंतज़ार इसलिए करता रहा, क्योंकि बैंक में कैश न होने की वजह से बैंक ने उसे पैसे देने से मना कर दिया। 65 वर्षीय दिहाड़ी मज़दूर मुन्नी लाल नोएडा में रहते हैं। उनकी पत्नी फूलमती देवी का सोमवार को कैंसर की वजह से अस्पताल में निधन हो गया। मुन्नीलाल के पास इतनी भी नकदी नहीं थी कि वो अपनी पत्नी का शव अस्पताल से घर तक ले जा सके। हालांकि, मुन्नी लाल की मजबूरी को समझते हुए अस्पताल ने बिना फीस लिए एंम्बुलेंस मुहाया कराई, जिसकी मदद से वो अपनी पत्नी का शव घर तो ले आया, लेकिन अब अंतिम संस्कार के लिए वो कैश नहीं जुटा पा रहा था।

हालांकि, मुन्नीलाल की हक़ीक़त जान उनकी मदद के लिए एक पुलिस अधिकारी ने उसे 2,500 रुपए दिए, वहीं एक स्थानीय नेता ने उन्हें 5,000 रुपए की मदद की, लेकिन उसने मदद के रुपयों से पत्नी का दाह संस्कार करने से साफ़ इनकार कर दिया। मुन्नी लाल का कहना था कि उसकी पत्नी कभी नहीं चाहती थी कि उधार और खैरात के पैसों से उसका दाह-संस्कार हो। आखिर जिला प्रशासन तक उसकी गुहार की गुंज पहुंच ही गई। जिला प्रशासन ने बैंक को रुपये उपलब्ध कराए, जिसके बाद मुन्नी लाल ने अपने बेटे के अकाउंट से 15 हज़ार रुपये निकाले और आखिर कार दो दिनों तक इंतजार करने के बाद अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार करवा पाने में सफ़ल रहे।

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