उन्होंने विधि विधान के साथ सभी रश्में पूरी की। विवाह के पहले पुलदान हुआ पिुर हल्दी लगी और मेंहदी भी रचाई गई। विवाह में दूल्हे के पिता राजकिशोर गुप्ता, माता श्रीमती चंद्रसेनवा गुप्ता सहित अन्य परिजन शामिल हुए। वहीं दुल्हन के पिता सेइची निसीमुरा, मां श्रीमती तायको निसीमुरा , बहन मीका, सहेली मास्की, यासुयो आदि शामिल हुए। गुरुवार देर शाम अंशुमन की बारात बाजे गाजे के साथ निकली। क्षेत्र में पड़ रही तेज ठंड के शहर में हलचल कम थी, लेकिन जैसे ही लोगों को इस विवाह की जानकारी मिली लोग बारात देखने पहुंचने लगे।
विवाह के दौरान दुल्हन पक्ष के लोग हिंदू रीति रिवाज के अनुरूप रस्में निभाने में उत्साहित दिखे। दुल्हन ने मेंहदी लगाई और उसके पिता ने अपने पैर में महावर लगाया। यहां की रश्मों से अभिभूत मियाको के पिता सेइची ने कहा कि भारतीय संस्कृति में विवाह संस्कार रिश्तों की गंभीरता और अहमियत को बयां करती है, यही कारण है कि यहां रिश्ते अटूट होते हैं। आचार्य गौरी शंकर मिश्र के सानिध्य में पिता ने मंत्रोच्चार के साथ कन्यादान किया। वहीं दूल्हे ने दुल्हन की मांग भरी।