आप ये तो जानते हैं की  आत्मा अजर अमर होती है ना कोई इसे मार सकता है ना काट सकता है… ना जला सकता है। हमारा शरीर नश्वर है आत्मा शरीर त्यागती है… लकिन क्या आप ये जानते है आत्मा का रूप क्या है और वो किस स्वारूप में होती है। नही तो आज हम बताते हैं आपको आत्मा का असल स्वारूप ।

आत्मा के तीन स्वरूप माने गए हैं:  जीवात्मा, प्रेतात्मा और सूक्ष्मात्मा। जो भौतिक शरीर में वास करती है उसे जीवात्मा कहते हैं। जब इस जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में निवास होता है तब उसे प्रेतात्मा कहते हैं। यह आत्मा जब सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश करता है, उस उसे सूक्ष्मात्मा कहते हैं। आत्मा किसी भी प्रकार का शरीर धारण करने के बाद वह वैसी ही कहलाती है, जबकि उसका स्वरूप मात्र सूक्ष्मतम बिंदू मात्र ही मूल रूप है।

आत्मा का रंग: श्री रामशर्मा आचार्य ने अपनी पुस्तक मरने के बाद हमारा क्या होता है में लिखा है कि आत्मा के रंग को लेकर भारतीय और पाश्चात्य योगियों का मत अलग-अलग है। भारतीय योगियों का मत है कि आत्मा का रंग शुभ्र यानी पूर्ण सफेद होता है जबकि पाश्चात्य योगियों के अनुसार आत्मा बैंगनी रंग की होती है। कुछ ज्ञानीजन मानते हैं कि नीला रंग आज्ञा चक्र का एवं आत्मा का रंग है।नीले रंग के प्रकाश के रूप में आत्मा ही दिखाई पड़ती है और पीले रंग का प्रकाश आत्मा की उपस्थिति को सूचित करता है।

आत्मा की साइज: आत्मा की सूक्ष्मता यह है कि एक केश (बाल) लेकर उसके सिरे की गोलाई के 60 भाग किए, फिर उस भाग के 99 भाग किए, फिर 99वें भाग के आगे 60 भाग किए तो उसमें से एक भाग के बराबर आत्मा का परिमाण है. अर्थात 3,52,83,600 . इस प्रकार प्राचीन ऋषियों-मुनियों ने आत्मा का साईज तक जानने का प्रयत्न किया।

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