दो वर्ष बाद वह इसी विभाग के हेड हो गए, लेकिन आयोडीन की कमी पर उनका शोध जारी रहा। उन्होंने शोध में पाया गया कि पडरौना के लोगों में आयोडीन की कमी है। इसी कारण वहां मंदबुद्धि बच्चों की संख्या बढ़ रही है। इस पैदाइशी दिक्कत को दूर करने के लिए वहां आयोडीन नमक खाने के लिए लोगों को जागरूक करना पड़ा।