ऐप की मदद से अब आपको पता लगेगा कि सड़क पर कहां कितना बड़ा गड्ढा है। जी हां, आपने सही सुना। बेंगलुरु के कुछ छात्राओं ने कॉलेज प्रॉजेक्ट के तहत ऐसा ऐप बनाया है जो सड़को पर जानलेवा गड्ढों की जानकारी देगा। यह ऐप स्मार्टफोन में मौजूद जाइरो सेंसर या जाइरस्कोप के जरिए यह मापता है कि कहां पर कितना बड़ा गड्ढा है और उसका प्रभाव कितना है। स्मार्टफोन्स में लगाया जाने वाला जाइरस्कोप सेंसर ऐंगुलर रोटेशनल वेलॉसिटी मापता है।

इस ऐप को NMIT बेंगलुरु की छात्राओं- आकृति त्यागी, एम. कृतिका, विनयदीप कौर और प्रतिमा कुमारी ने तैयार किया है। ऐप की डिवेलपर आकृति बताती हैं कि इस ऐप में दो मोड हैं। पहला मोड डेटा कलेक्ट करता है और दूसरा मोड उस डेटा के आधार पर वॉर्निंग देता है।

पहले मोड में स्मार्टफोन का जाइरस्कोप मापता है कि कितना झटका लगा। उसी दौरान जीपीएस से लोकेशन मैप हो जाती है कि झटका जिस जगह पर लगा। ये दोनों जानकारियां क्लाउड सर्वर पर पहुंच जाती हैं और रिकॉर्ड कर ली जाती हैं। इसके बाद दूसरे मोड का काम शुरू होता है। जब लोग उसी गड्ढे से होकर गुजरते हैं, यह ऐप वॉर्निंग देता है कि आगे गड्ढा है। ऐप को डिवेलप करने में शामिल रहीं विनयदीप बताती हैं, ‘यह क्राउड-सोर्सिंग ऐप है जो एक्सपीरियंस पर काम करता है।

इन छात्राओं ने कॉलेज प्रॉजेक्ट के तहत अगस्त 2016 में इस पर काम शुरू किया था। उनका कहना है कि इस साल अगस्त तक ऐप पूरी तरह तैयार हो जाएगा। बेशक यह इस तरह का पहला ऐप नहीं है मगर इसमें कुछ नए फीचर्स ऐड किए गए हैं। इसमें वेदर मैपिंग भी दी गई है ताकि पता चल सके कि किस मौसम में गड्ढों की स्थिति क्या रहती है। इस ऐप से यह भी पता चलेगा कि किन इलाकों की सड़कों पर अक्सर गड्ढे बन जाते हैं। इससे गड्ढे बनने की वजहों का पता लगाया जा सकता है।

ऐप सही से काम करे, इसके लिए जरूरी है कि पूरे शहर को कवर किया जाए। इसके लिए इस ऐप की डिवेलपर्स चाह रही हैं कि कैब सर्विसेज वाले इसे यूज करें क्योंकि वे पूरे शहर में घूमते हैं। इससे सर्वर में यह जानकारी आ जाएगी कि पूरे शहर में कहां-कहां की सड़कों पर गड्डे हैं। इस ऐप में फोटो अपलोड करने का फीचर भी है ताकि उस गड्ढे की तस्वीर भी डाली जा सके। सर्वे के बाद इन तस्वीरों को प्रशासन के पास भेजा जा सकता है ताकि उन्हें पता चले कि लोगों को कितनी दिक्कत हो रही है।

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