यह तकिया खर्राटों से होने वाले वाइब्रेशन को पहचानकर अपने ब्लैडर की हवा निकाल देता है जिससे तकिया धीरे-धीरे तीन इंच कम पतला हो जाता है। इससे सांस लेने के रास्ते में होने वाली अड़चन कम होती है और खर्राटे बंद हो जाते हैं या फिर नींद खुल जाती है। इसको तेज व धीमे खर्राटे के आधार पर सेट किया जा सकता है। वैज्ञानिक कहते हैं कि खर्राटे तब आते हैं जब गले की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं। इसी वजह से सांस के आने-जाने में आवाज आने लगती है।
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