इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि ‘मैंने अंताक्षरी की अपनी दोस्तों दुर्गा जसराज, पल्लवी जोशी, राजेश्वरी सचदेव के साथ एक बार फिर से अंताक्षरी खेली। और हमने पुराने दिनों को बहुत याद किया। भले ही वो दिन गुज़र गए हैं, लेकिन हमारी दोस्ती सालों साल ऐसे ही बरक़रार रहेगी।