बच्चों को बच्चों की तरह पढ़ाने के लिए टीचरों को भी बच्चा बनना पड़ता है।ज्यादातर बच्चों को पढ़ाई इसलिए उबाऊ लगती है क्योंकि इसे नीरसता के साथ पढ़ाया जाता है । अगर पढ़ाई को होमवर्क और असाइनमेंट से अलग हटकर कुछ ऐसे पढ़ाया जाए तो यकीनन, स्कूल जाने से पहले बच्चों के पेट में होने वाले ‘अदृश्य पेट दर्द’ की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

इतनी रोचकता के साथ अगर आपको कोई क,ख,ग, घ पढ़ाए तो किसको याद नहीं रहेगा, भले ही उछल कूद मचाते टीचर आपको अजीब लगे, लेकिन क्लासरुम में टीचरों की ये हरकतें, पढ़ाई के उबाउपन से बच्चों को दूर ले जाएगी जिस तरह से ये महिलाएं मात्राओं का फंडा क्लियर कर रही हैं, अगर ऐसा फंडा हर बच्चे के हिस्से में आ जाता, तो मजाल है कि वो ये पूछता… छोटी ई की मात्रा किस तरफ से लगती है।

याद किजिए, अपने स्कूल के दिनों को… शर्त लगाकर कह सकते हैं कि यादों में खुर्राट टीचरों की संख्या ज्यादा होगी। अगर बच्चों को इस तरीके से पढ़ाया जाए तो उनके जहन में तस्वीर ज्यादा दिनों तक रहेगी।

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