इसके बाद वो चिल्लाने लगी और भागकर ट्रेन के गेट तक आ गई तो उन लोगों ने इसे चलती ट्रेन से पटरियों पर फेंक दिया। उसका पैर ट्रेन के नीचे आ गया। वो पटरियों से कुछ मीटर दूर खेत में काम कर रहे मजदूरों को पड़ी मिली। लोगों ने देखा तो उसे अस्पताल पहुंचाया। मऊ के अस्पताल में जब उसकी हालत बिगड़ने लगी तो उसे वाराणसी के बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में शिफ्ट कर दिया।
डॉक्टर का कहना है कि इन्फेक्शन इतना बढ़ गया था कि जान को खतरा था, खून बहुत सारा बह चुका था। रेलवे के अफसर और जवानों ने 5 यूनिट खून दिया, तब जाकर उसका शरीर ऑपरेशन करने लायक हो सका । शरीर का कोई हिस्सा ऐसा नहीं था जहां टांके न आए हों। उसका एक पैर घुटने से नीचे ऑपरेशन कर हटा दिया गया है।पुलिस मामले कि
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