लकम्मा देवी के मंदिर में चप्पलों की माला बनाकर अर्पित करते हैं। यह माला मंदिर में ही लगे नीम के पेड़ पर बांध दी जाती है। लोगों की मान्यता के अनुसार ऐसा करने पर उनकी मुराद जरूर पूरी होती है। यह परंपरा कब शुरु हुई कोई नहीं जानता लेकिन एक किंवदंती के अनुसार, ‘एक बार देवी मां लकम्मा पहाड़ी पर टहल रही थी।

तभी दुत्तारा गांव के देवता की नजर देवी पर पड़ी और उन्होंने उनका पीछा करना शुरू कर दिया। देवी ने उससे बचने के लिए अपने सिर को जमीन में धंसा लिया। तब से लेकर आज तक माता की मूर्ति उसी तरह इस मंदिर में है और यहां लोग आज भी देवी के पीठ की पूजा करते हैं।’

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