प्राचीन काल में दुनिया के कई देशों में धार्मिक और अन्य कारणों से इनसान की बलि दी जाती थी। शहर में यूं तो कई मंदिर हैं, जहां इंसानों को बलि दी जाती थी। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि वहां किसी ज़माने में इंसानों की बलि दी जाती थी।

आपको यह जानकर जरूर हैरानी होगी, लेकिन यह सच है। बताया जाता है कि भारत के शहर उज्जैन में प्राचीन समय में हर दिन इंसानों की बलि दी जाती थी। इस मंदिर का नाम भूखी माता का मंदिर है।

इस मंदिर की कहानी सम्राट विक्रमादित्य के राजा बनने से जुड़ी है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां पर प्रतिदिन एक व्यक्ति की बलि चढ़ाई जाती थी। जिस भी लड़के को अवंतिका नगरी का राजा बनाया जाता था, भूखी माता उसे खा जाती थी। लेकिन अब इस प्रकार मानव बलि की यह प्रथा समाप्त हो चुकी है।

दुनिया के कई देशों में प्राचीन काल में इंसान की बलि देने का चलन था। कहीं पर आदमियों की बलि दी जाती, तो कहीं पर महिलाओं की। कई समुदायों में तो बलि देने का तरीका इतना क्रूर था कि जिन्दा इंसान का दिल निकालकर सूर्य देवता को अर्पित करना था, तो कहीं पर देवताओं को ज़िंदा बच्चों और महिलाओं की चमड़ी उतारकर अर्पित करना।

तो आइए आज हम आप को ऐसे ही कुछ मंदिर के बारे में बताते है जहां पर इंसानो की बलि देने की परंपरा थी।

1.फोइनिसियन और कार्थेगिनियन समुदाय के लोग धर्म के नाम पर अपने बच्चों की बलि देते थे। इस तरह की बलि को उस समय की सबसे बुरी बलि मानी जाती थी और अपने समाज को बचाने का सबसे अच्छा तरीका भी।

2.फिजी में जब किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती थी तो उस महिला को उसी समय गला दबाकर मार दिया जाता था। जिससे उसे मृत पति के साथ दफनाया जा सके। मरने के बाद महिलाओं के शव को कब्र में चटाई की तरह बिछाया जाता था।

3. आजटेक्स अपने बलि देने के तरीको के लिए मशहूर था। इन तरीकों में से एक था जिन्दा इंसान का दिल निकाल कर सूर्य देवता को अर्पित करना। प्रसाद के लिए व्यक्ति को खंभे से बांध पूरे शरीर को बाणों से छलनी किया जाता था। फिर पुजारी द्वारा इंसान की चमड़ी उधेड़ी जाती थी।

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