मंदिर के ही एक जिम्मेदार शख्स से पूछने पर पता लगता है कि सत्रहवीं शताब्दी में काशी के राजा मानसिंह ने इस पौराणिक घाट पर भूत भावन भगवान् शिव जो मसान नाथ के नाम से श्मशान के स्वामी हैं, के मंदिर का निर्माण कराया। जिसके बाद इस अवसर पर उन्होंने एक संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया पर ऐसी जगह जहां चिता जलती हो लेकिन वहां कोई भी संगीत कार्यक्रम में नहीं आया। उस वक़्त राजा मान सिंह का मान रखने के लिए काशी की नगर वधुओं ने यहां आकर नृत्य किया तभी से यह परम्परा लगातार चलती आ रही है।