ऐसे में धींगा गवर की पूजा करने वाली सुहागिनें अपने हाथ में बेंत या डंडा ले कर आधी रात के बाद गवर के साथ निकलती थी। वे पूरे रास्ते गीत गाती हुई और बेंत लेकर उसे फटकारती हुई चलती। बताया जाता है कि महिलाएं डंडा फटकारती थी ताकि पुरुष सावधान हो जाए और गवर के दर्शन करने की बजाय किसी गली, घर या चबूतरी की ओट ले लेते थे। कालांतर में यह मान्यता स्थापित हुई कि जिस युवा पर बेंत (डंडा) की मार पड़ती उसका जल्दी ही विवाह हो जाता। इसी परंपरा के चलते युवा वर्ग इस मेले का अभिन्न हिस्सा बन गया है

1 2 3
No more articles