मांस को खत्म कर देने वाला जहर कैसे विकसित हुआ कोबरा में, खुल गया राज़ , कोबरा को दुनिया के सबसे खतरनाक सांपों में से एक माना जाता है। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि संभावित शिकारियों को चेतावनी देने के लिए मांस को खत्म कर देने वाले जहर को विकसित किया है।

अफ्रीका और एशिया में कोबरा एक बड़ा हत्यारा है। इसके मांस खाने के जहर का इलाज करने के लिए लोग गंभीर सामाजिक और आर्थिक बोझ में दब जाते हैं। ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर ब्रायन फ्राई ने कहा कि हम कोबरा के जहर के परिणामों को जानते थे। मगर, अब तक कोबरा का रक्षात्मक जहर कैसे विकसित हुआ था, यह एक रहस्य ही था।

फ्राई ने कहा कि ये परिणाम बुनियादी विकास के मूलभूत महत्व और यह मानव स्वास्थ्य से कैसे संबंधित है, इसे दिखाते हैं। विश्व स्तर पर सभी उष्णकटिबंधीय बीमारियों में सांप के काटने को नजरअंदाज कर दिया जाता है। जहर की काट वाली दवाओं के निर्माता उन उत्पादों के लिए बाजार छोड़ रहे हैं, जो उत्पादन में सस्ती हैं।

उन्होंने कहा कि एन्टिवेनम को बनना महंगा है, ये कम समय में खराब हो जाती हैं और विकासशील देशों में इनका छोटा बाजार है। इसलिए, हमें आगे शोध करने की जरूरत है ताकि यह पता किया जा सके कि बाकी की जहर काटने वाली दवाओं को कैसे अच्छे तरीके से उपयोग किया जा सके।

फ्राई ने कहा कि हमारे अध्ययन में कोबरा के जहर को आकार देने वाले विकासवादी कारकों की खोज हुई है। इसके साथ ही उनके फनों पर अलंकृत चेतावनी के रंग निशान के बारे में भी अध्ययन किया गया है, जो कुछ प्रजातियों में मौजूद होता है।

शोध टीम ने 29 कोबरा प्रजातियों और उससे संबंधित सांपों का अध्ययन किया। उन्होंने पता लगाया कि मांस को नष्ट करने वाले जहर उनके व्यापक फनों के विकास के साथ ही बढ़ा है, जो कोबर्स को इतना विशिष्ट बनाते हैं। विषाक्त पदार्थों की ताकत में बढ़ोतरी फनों कि चिह्नों, शरीर की लचक, लाल रंग और जहर उगलने जैसे उनकी चेतावनी की रणनीति के समान होती है।

उन्होंने कहा कि कोबरा के शानदार फन, आंखों के आकर्षक पैटर्न संभावित शिकारियों को चेतावनी देने के लिए विकसित हुए हैं। अन्य सांप जहां अपने जहर का इस्तेमाल केवल शिकार के लिए करते हैं, वहीं इसके विपरीत कोबरा इसे अपनी रक्षा के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। लंबे समय से यह माना जाता रहा था कि केवल थूकने वाले कोबरा के जहर में यह रक्षात्मक विषाक्त उच्च मात्रा में थे। मगर, हमने देखा कि ये कोबरा में भी व्यापक मात्रा में है।

 

 

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