आज की भागदौड़ भरी लाइफ में महिलाओं को हर मोड पर नयी नयी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच सामंजस्य बैठाना अपने आप में एक बड़ा टास्क बनता जा रहा है। आज कल लड़कियों के देर से शादी करने की असली वजह भी यही है। क्योंकि उन्हें लगता है कि इसके बाद उनके करियर पर असर पड़ेगा। शादी के बाद कामकाजी महिलाओं के लिए मां बनने का निर्णय लेना भी बहुत ही कठिन होता है। लेकिन अब भारत सरकार ने कामकाजी महिलाओं के हित में एक कानून पास किया है। जिसके तहत अब महिलाओं को 12 की जगह 26 हफ्तों की मेटरनिटी लीव मिल सकेंगी।
20165 से चले आरहे इस मुद्दे पर काफी बार गौर किया गया और आखिरकार महिलाओं के लिए एक खुशखबरी आ ही गयी है कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मैटर्निटी बेनिफिट (अमेंडमेंट) एक्ट 2017 को अपनी मंज़ूरी दे दी है। इसके बाद भारत में महिलाओं के लिए मैटर्निटी लीव 12 से 26 हफ़्तों की हो गई है।
इस कानून की सबसे खास बात यह है कि अब महिलाओं को इन छुट्टियों की ऊरी तंख्वाह भी मिलेगी। इस एक्ट की वजह से उस क़ानून में परिवर्तन आया है जो भारत में पिछले 55 सालों से लागू था। इस एक्ट के आने के बाद भारत भी उन देशों में शामिल हो गया है जो महिलाओं को ऐसी पेड लीव देते हैं। सबसे बड़ी बात ये कि इस मुद्दे पर भारत ने यूएस को भी पछाड़ दिया है।
इस नए कानून में ये भी साफ़ किया गया है कि जिस कंपनी में 50 से अधिक कर्मचारी हैं उन्हें ऑफिस के समीप ही एक डे केयर का भी निर्माण करवाना होगा। महिलाएं दिन में चार बार अपने बच्चों से मिलने जा सकेंगी। दूसरी ख़ास बात ये कि जो महिलाएं बच्चे को गोद लेती हैं उन्हें भी 12 हफ़्तों की छुट्टी मिलेगी।
लेकिन इसका लाभ महिलाएं केवल पहले 2 बच्चों के समय ही उठा सकेंगी उसके बाद उन्हें इस क़ानून का फ़ायदा नहीं मिल पाएगा। तीसरे बच्चे से महिलाओं को केवल 12 हफ़्तों की छुट्टी मिलेगी। ये एक बहुत अच्छा कदम है। इसके बाद महिलाएं ऐसे अहम फ़ैसले अधिक मजबूती से ले पाएंगी साथ ही उनके पास अब एक मजबूती कानूनी अधिकार भी है।