जबलपुर के एक डॉक्टर ने दिव्यांग युवती से शादी कर समाज में एक मिसाल पेश की है। दोनो पैरों से दिव्यांग युवती को जब डॉक्टर दूल्हा अपने हाथों में उठाकर कलेक्ट्रेट कोर्ट में कोर्ट मैरिज करने पहुंचा तो देखने वालों ने इस जोड़े को प्यार की नई परिभाषा बताया। जिस लड़की ने अपनी दिव्यांगता के चलते शादी के सपने ही देखना बंद कर दिया था उसे डॉक्टर दुल्हा ने अपनाया। कलेक्ट्रेट में इस जोड़े को आर्शीवाद देने वालों की भीड़ जमा हो गई. कुछ लोगों ने तो माला पहनाकर भी इस जोड़े का स्वागत किया।
दोनो की कहानी तब शुरू हुई जब एक साल पहले मीना की मां का इलाज करने डॉक्टर बाला उसके घर आए थे। तभी उनकी पहली मुलाकात हुई। डॉक्टर ने खुद मीना की मां से उनकी लड़की से शादी का प्रस्ताव रखा था। उस समय तक डॉक्टर को ये पता नहीं था कि मीना दिव्यांग है। मां ने उन्हें हकीकत बताई तब भी डॉक्टर अपने फैसले पर अडिग रहे। एक साल बाद कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन किया और मंगलवार को दोनों परिणय सूत्र में बंध गए।
शादी के डॉक्टर समीरन और मीना ने कहा, ‘हमें नहीं मालूम कि हमने कितना सही फैसला लिया है, हम तो बस इतना जानते हैं कि हमें एक-दूसरे से प्यार था, इसलिए शादी कर ली।’ दुल्हन मीना ने बताया कि बचपन में ही वह पोलियो की शिकार हो गईं थीं, जिसके चलते उनके दोनों पैर काम नहीं करते हैं। उन्होंने बताया कि पहले तो घर वालों ने सामान्य लड़के से उसकी शादी करानी चाही पर बात नहीं बनी। बाद में कई दिव्यांग लड़के से भी शादी की बात चलाई गई, लेकिन अंजाम तक नहीं पहुंच पाया। पिछले दो-तीन साल से तो उसने मान लिया था कि अब उसकी शादी नहीं होगी।
मां के इलाके बहाने डॉक्टर समीरन से मीना की मुलाकात हुई और दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे। मीना कहती हैं वह खुशनसीब है कि उन्हें जीवन में समीरन जैसा प्यार करने वाला जीवनसाथी मिला। वहीं समीरन का कहना है कि मीना दिल की बहुत ही अच्छी हैं, उसकी सादगी और सच्चाई उसके दिल को छू गई थी, शायद यही वह वजह थी कि उन्होंने मीना को प्रपोज किया था।