हालांकि इस रोक से छात्राओं को काफी परेशानी का भी सामना करना पड़ा था। एक वेबसाइट के अनुसार, इस एंट्रेंस टेस्ट को लगभग 90 लाख से अधिक बच्चों ने दिया था। जिसमें कई छात्राएं भी शामिल थीं। आप को बता दें कि ऐसा ही एक मामला साल 2008 में भी देखने को मिला था।

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