वास्तव में एक फरिश्ता कैसा होता है इसका उदाहरण इस बात से ही समझा जा सकता है कि अब्दुल साहब ने कभी भी ट्रस्ट के एक रुपए का भी उपयोग अपने व परिवार के लिए नहीं किया। एक बार की बात है उनके बेटे फैजल ने उनसे साइकिल की मांग की। लेकिन सत्तार साहब ने उसे साइकिल नहीं दिलाई, इसके बदले में उनका बेटे को यही जवाब था – ‘जब मैं सारे बच्चों के लिए साइकिल खरीदूंगा, तब उनमें से एक तुम भी होगे।’

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