प्रॉबेशन की इस शर्त पर प्रतिक्रिया करते हुए एक प्रफेसर सैंड ने कहा कि जज द्वारा रखी गई यह शर्त संभावित तौर पर गैरकानूनी हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘जज की इस शर्त से दोषी के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।’ सैंड ने कहा कि जज को प्रॉबेशन की विशेष शर्तें बनाने की आजादी होती है, लेकिन ये शर्तें संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन न करें इस बात का ख्याल रखना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि अगर दोषी इसके खिलाफ अपील करे, तो वह जीत जाएगा।’
क्या होता है राइडर प्रोग्राम
मालूम हो कि आईडहो प्रांत में जब किसी को बहुत गंभीर अपराध का दोषी पाया जाता है, तो जज के सामने सजा सुनाने के लिए दो विकल्प होते हैं। पहला विकल्प तो यह कि दोषी को जेल भेज दिया जाए और दूसरे विकल्प के तौर पर उसे निरीक्षण में रखा जाता है। निरीक्षण के दौरान अगर दोषी के व्यवहार में संतोषजनक बदलाव देखा जाता है, तो उसकी जेल की सजा माफ कर दी जाती है। इन दोनों के अलावा तीसरा विकल्प ‘राइडर प्रोग्राम’ भी होता है। इसमें जज दोषी को ‘राइडर प्रोग्राम’ में भेजता है, जो कि पहले और दूसरे विकल्प का मिश्रण है। इसके तहत जज दोषी को जेल की सजा तो सुनाता है, लेकिन फिर उसे आईडहो डिपार्टमेंट ऑफ करेक्शन्स के निरीक्षण में एक साल के लिए भेज देता है। अगर दोषी राइडर प्रोग्राम को एक साल के अंदर पूरा कर ले, तो अदालत उसे जेल भेजने के अपने फैसले की समीक्षा करती है।