प्यार की कोई परिभाषा नहीं है। इसे शब्दों में बयाँ ही नहीं किया जा सकता। ये एक खूबसूरत सा एहसास है जिसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। प्यार कहीं भी, कभी भी, किसी से भी हो सकता है। इसमें कोई रंग-रूप अमीरी-गरीबी या जात-पात कुछ नहीं देखा जाता। लेकिन समाज सदियों से चली आ रही परम्पराओं और रूढ़िवादी मानसिकता की जकड़न में है।

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