क्या आपने कभी किन्नर को मां बनते हुए सुना है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे किन्नर के बारें में बताने जा रहें है जो मां बनी है उसने एक बेटे को जन्म दिया है।
आप इसे चमत्कार कहिएं या कुदरत का करिश्मा लेकिन आपके मन में यह यह सवाल जरुर आ रहा होगा की कोई किन्नर कैसे मां बन सकती है तो आइए आपको बताते है ये किन्नर कैसे मां बनी।
भारत में अजमेर शरीफ के दरगाह का बहुत बड़ा महत्व है। इसकी सबसे खास बात यह है कि ख्वाजा पर हर धर्म के लोगों का विश्वास है। यहां आने वाले भक्त चाहे वे किसी भी मजहब के क्यों न हों, ख्वाजा के दर पर दस्तक देने के बाद उनके मन में सिर्फ श्रद्धा ही रह जाती है।
गौरतलब हो कि आए दिन बड़े-बड़े नेता, बॉलीवुड की हस्तियां अजमेर के दरगाह शरीफ पर अपनी सफलता के लिए चादर चढ़ाने आते रहते है और इसी दरगाह में किन्नरों की भी बहुत आस्था है।
ऐसा कहा जाता है कि हर साल उर्स के मौके पर देश के अलग-अलग भागों से किन्नर यहां आकर सिर झुकाते हैं। दरगाह शरीफ की ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी आता है वो खाली हाथ नहीं लौटता।ख्वाजा के इस शहर में मीरां सैयद हुसैन खिंहगसवार की एक दरगाह है जहां करिश्माई लाल बूंदी का पेड़ है। इस दरगाह की ऐसी मान्यता है कि जो लोग ख्वाजा मोईनुद्दीन चिस्ती की दरगाह पर जाते हैं, वह तारागढ़ पहाड़ पर मौजूद इस दरगाह में आकर जरूर सिर झुकाते हैं।
इस पेड़ के बारे में कहा जाता है कि जो इसके फल को खाता है वह बेऔलाद नहीं रहता। लोगों के अनुसार एक बार एक किन्नर ने इस पेड़ के फल को खा लिया और फिर चमत्कार हो गया। किन्नर गर्भवती हुई और उसने एक लड़के को जन्म दिया।