विरसाव्या के दिल सीने के नीचे उभार के रूप में दिखता है, वह बेहद पतली त्‍वचा से ढकी है। इस कारण वह बाहर से साफ तौर से दिखती है कि वह कैसे धड़क रही है।

हालांकि विरसाव्या अपनी इस स्थिति से दुखी नहीं है वो इसको बहुत ही पॉज़िटिव तरीके से लेती है और अंगुली से इशारा करते हुए कहती है, ‘ये मेरा दिल है’  मैं इकलौती हूं जिसका दिल इस जगह पर है’ लेकिन इसके साथ विरसाव्या कहती है- मुझे पैदल चलना, उछलना, उड़ना चाहती हूं।  हालांकि मुझे तेज चलने से मना किया गया है।

अपने दिल की वजह से विरसाव्या स्कूल नहीं जा पाती है, लेकिन वह अपने घर पर ही पढ़ाई करती है। वह डांस, खेल आदि में बेहद सावधानी से हिस्सा लेकर अपने शौक को पूरा करती है। हालांकि इस दौरान उसकी मां उसका पूरा ख्याल रखती है। इसे ही जिंदा दिली की मिसाल भी कहते हैं ये पता होते हुए भी की उसी एक कठिन जिंदगी मिली है जहां हर पल मौत खड़ी है इसके बावजूद भी विरसाव्या के हौसले कमजोर नहीं हुए।

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