तीन तलाक ही नहीं और भी हैं कुप्रथाएं

तीन तलाक ही नहीं और भी हैं कुप्रथाएं

मुतआ निकाह प्रथा:

यह रिवाज मुस्लिाम धर्म में ही प्रचलित है। ईरान के शिया मुसलमानों में इसका प्रचलन है। हालांकि समय के साथ इसमें भी काफी ज्या्दा बदलाव देखने को मिल रहे हैं। मुतआ निकाल में एक निश्चित समय के लिए निकाह होता है। इसका समय काफी कम यानी कि दो से चार महीने तक का ही होता है। जैसे ही यह समय पूरा होता है अपने आप पति-पत्नी अलग हो जाते हैं।

पॉलीगेमी, बहुपत्नीह:

मुस्लिम पर्सनल लॉ के हिसाब से मुस्लिम समुदाय को पॉलीगेमी यानि की एक ज्या‍दा विवाह की छूट है। बहुपत्नी प्रथा से मुस्लिम महिलाओं में काफी गुस्सा है। जबकि सिविल मैरिज एक्ट के तहत बहुपत्नीत प्रथा पूरी तरह से गैर कानूनी है। वहीं ईसाई समुदाय में साल 1860 आईपीसी की धारा 494 और 495 के तहत यह गैरकानूनी माना गया। हिंदू मैरिज एक्ट 1995 में हिंदुओं में पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी करना गैरकानूनी है।

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