चर्चा चलते ही एक व्यक्ति को इम्तियाज के गैराज पर भेजा गया। उस वक्त गैराज में इम्तियाज की जगह फिरोज काम कर रहे थे। जब किसी ने चलकर हेलीकॉप्टर ठीक करने को कहा, तो उन्हें लगा कि वह मजाक कर रहा है। बड़े भाई इम्तियाज की गैरमौजूदगी के कारण भी इस काम को हाथ लगाने की उनकी हिम्मत नहीं पड़ रही थी।

बार-बार आग्रह पर वह डीवाई पाटिल के बंगले की ओर चल पड़े। वहां वाकई एक बड़ा हेलीकॉप्टर खड़ा था। फिरोज ने इससे पहले कभी हेलीकॉप्टर ठीक करना तो दूर, उसे हाथ भी नहीं लगाया था। फिर भी उन्होंने पायलट से थोड़ा समझने के बाद हेलीकॉप्टर ठीक करना शुरू किया। आधे घंटे के प्रयास में ही हेलीकॉप्टर के पंखे घूमने लगे। पायलट ने पहले परीक्षण उड़ान भरी। फिर मेहमान को लेकर रवाना हो गया।

 

 

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